Friday, April 16, 2010

उड़ गया रंग, खुशबु हवा हो गयी

उड़ गया रंग, खुशबु हवा हो गयी
जिन्दगी देखिये क्या से क्या हो गयी

दिल से रुखसत हुई जब ख़ुशी यूँ लगा
बाप के घर से बेटी बिदा हो गयी

दूर तक तीरगी, तीरगी, तीरगी
जिन्दगी एक अंधी गुफा हो गयी

उसकी आँखों ने छलकाए आंसू मेरे
उसकी सूरत मेरा आईना हो गयी

रास आयी नही मुझको आसानियाँ
मेरी मुस्किल मेरा हौंसला हो गयी

एक शय नाम जिसका था इंसानियत
देखते-देखते लापता हो गयी

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